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Ramdhari Singh Dinkar: 23 सितंबर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि ‘दिनकर की कालजयी कविताएँ साहित्य प्रेमियों को ही नहीं, बल्कि समस्त देशवासियों को निरंतर प्रेरित करती रहेंगी।
‘दिनकर’ स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद ‘राष्ट्रकवि’ के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है।
हिंदी के सुविख्यात कवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर, 1908 को मुंगेर (बिहार) के सिमरिया गाँव में एक छोटे से किसान परिवार में हुआ था। वर्ष 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद वर्ष 1952 में जब भारत की प्रथम संसद का निर्माण हुआ तो रामधारी सिंह दिनकर को राज्यसभा के सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया और वे बिहार से दिल्ली आ गए।
दिनकर ओज के कवि माने जाते हैं, और उनकी भाषा अत्यंत प्रवाहपूर्ण, ओजस्वी और सरल थी।
दिनकर के साहित्य में विचार और संवेदना का सुंदर समन्वय दिखाई देता है। दिनकर जी को उनकी पुस्तक ‘संस्कृति के चार अध्याय’ के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार और पद्मभूषण से भी सम्मानित किया गया था। दिनकर की प्रमुख कृतियों में हुँकार, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतिज्ञा, उर्वशी और संस्कृति के चार अध्याय आदि शामिल हैं।
Credit: Drishti